रासायनिक खाद व कीटनाशक युक्त भोजन से बढ़ रही है भयानक बीमारियां
रासायनिक खाद व कीटनाशक के धड़ाधड प्रयोग ने हवा, पानी व मिंट्टी को इतना जहरीला बना दिया है कि आबादी का काफी हिस्सा शारीरिक, मानसिक व सेक्स के पक्ष से कमजोर हो रहा है। इसके साथ ही युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आ गई है। संसार में पहले बीमारियां पैदा होती हैं, फिर इन बीमारियों के इलाज के बहाने लोगों की आर्थिक लूट की जाती है। देष में वैज्ञानिक खेती के नाम पर बरती जाने वाली खाद व कीटनाशक ने मनुष्य के स्वास्थ्य पर इस कदर असर किया है कि अब लोगों में ब्लड प्रेशर, शुगर, चमड़ी रोग, एचआइवी, हैपेटाइटिस बी-सी व कैंसर की बीमारियों में लगातार वृद्धि हो रही है। पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या लगातार कम हो रही है, सेक्स के तौर पर कमजोरी आ रही है और महिलाओं में बांझपन लगातार बढ़ रहा है। इन बीमारियों के इलाज में देष की जनता लगातार आर्थिक तौर पर कंगाल हो रही है।
फसलों पर छिड़के जाने वाले कीटनाशकों के अंश फल, सब्जी और अनाजों के जरिये हम तक पहुंचते हैं.
खेतों में फल, सब्जियों और अनाजों को कीटों से बचाने वाले रसायनों के छिड़काव से जुड़ा है. जिस हरित क्रांति ने अनाज के लिए विदेशों पर हमारी निर्भरता खत्म की है, उसका विपरीत प्रभाव यह है कि हमारी जमीन कीटनाशकों के जहर में डूब चुकी है. हालात यह हैं कि फैक्ट्रियों और खेतों के जरिए हम तक आया यह विष हमारे डीएनए में घुस गया है और लगातार चेतावनियां आ रही हैं कि इनका असर भावी पीढ़ी विकलांग बना सकता है.
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